उपखंड क्षेत्र के सोडा-बावडी गांव निवासी दीपिका राजावत ने टोंक जिले से भारतीय वायु सेना में पहली महिला फ्लाइंग ऑफिसर बनने का सपना साकार किया है जो जिले की बेटियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गई है। दीपिका को 19 जून को भारतीय वायु सेना अकादमी हैदराबाद में महामहिम राष्ट्रपति के हाथों फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में कमीशन प्राप्त होगा। पहली महिला फ्लाइंग ऑफीसर बनने का तमका प्राप्त करने वाली दीपीका का पूरा परिवार देश सेवा में जुटा है तथा सैन्य सेवाओं में विभिन्न पदों पर आसीन होकर देश सेवा में जुटा हुआ है। दीपिका के भाई महिपाल सिंह राजावत हाल ही में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी पूणे से पास आउट होकर देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी में ऑफिसर ट्रेनिंग प्राप्त कर रहे है। दीपिका के पिता नरेंद्र सिंह राजावत भारतीय थल सेना में पैराकमांडो रहते हुए 1999 में कारगिल लड़ाई में शामिल हुए थे और वर्तमान मे शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अध्यापक हैं। दीपिका के दादाजी रघुवीर सिंह ने भी सीमा सुरक्षा बल में  रहते हुए 1971 के भारत-पाक युद्ध में संघर्ष किया है। दीपिका का परिवार मूल रूप से टोंक जिले के छोटे से गांव सोडा (बावड़ी) में निवास करता है। वर्तमान में दीपिका के माता-पिता जयपुर विद्याधर नगर में निवास करते हैं। दीपिका परिवार से प्राप्त संस्कारों के कारण बचपन से ही देश सेवा के लिए भारतीय सेना में भर्ती होना चाहती थी। जयपुर में ही विद्यालय शिक्षा प्राप्त करके आईसीजी कॉलेज से महाविद्यालय शिक्षा में स्नातक एवं स्नातकोत्तर पढ़ाई विज्ञान विषय में पूरी की। सेना में भर्ती होने की गहरी आकांक्षा इच्छा एवं स्वप्न को साकार करने के लिए उसने महाविद्यालय में राष्ट्रीय कैडेट कोर एनसीसी में शामिल होकर अनेक प्रतियोगिताओं में कीर्तिमान हासिल किए। दीपिका खेलों में भी अव्वल रही तथा बास्केटबॉल खेल में उसने कई कीर्तिमान स्थापित किए। दीपिका की माताजी नंद कंवर बताती है कि दीपिका बचपन से मेधावी रही तथा उसकी इच्छा पिता, दादाजी और भाई की तरह सेना में जाने की है। परिवार ने उसका सहयोग किया और उसने पूरे जोश और उत्साह से तैयारी की। दीपिका 6 बार पहले भी भारतीय सेना के लिए चयनित हुई परंतु वरीयता पर नहीं पहुंच पाई किंतु उसने हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार उसका चयन फ्लाइंग ऑफिसर प्रशिक्षण के लिए हुआ और 19 जून को प्रशिक्षण पूर्ण कर फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में दीपिका ने कमीशन प्राप्त कर लिया। दीपिका की कहानी प्रत्येक भारतीय लडक़ी के लिए आत्म सम्मान गौरव एवं प्रेरणादायी है। देश की सीमाओं की सुरक्षा करने हेतु तत्पर ऐसे परिवार व उनकी देश सेवा की इच्छाशक्ति ही अखण्ड भारत की अक्षुण्य निधि है। 

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