राजस्थान के सडक मार्गो पर महंगे सफर में शामिल है जयपुर-भीलवाडा का सडक मार्ग, जयपुर से भीलवाडा के बीच सफर के लिए चार टोल नाकों पर चुकाना पडता है टोल

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Expensive travel on the road routes of Rajasthan includes the Jaipur-Bhilwara road
The first problem of the townspeople on which the BJP, Congress unanimously will oppose the toll

सीमित आमदनी व बढती बेतहाशा महंगाई के बीच जयपुर से भीलवाडा का सफर राजस्थान के सडक मार्गो पर सबसे महंगे सफर में शामिल है।

जयपुर से भीलवाडा के बीच निजी वाहन से सफर करने वाले वाहन चालक को महज 232 किमी के सफर में अलग-अलग चार पर अपनी जेब ढीली करनी पडती है जिससे सफर करने वाले व्यवस्था को कोसते नजर आते है।

जयपुर-भीलवाडा टोल रोड प्राईवेट लिमिटेड के अधीन आने के दौरान भी इस व्यवस्था का विरोध करने का सिलसिला शुरू हुआ था तथा न्यायालयों तक में वाद तक दायर किए गए थे।

क्षेत्र के लोगों का विरोध था कि मालपुरा क्षेत्र में अविकानगर के पास स्थित टोल नाका नियम कायदों को ताक में रखकर बनाया गया है जिसके चलते जहां भीलवाडा से जयपुर जाने वाले व्यक्ति को डेढ सौ किमी के सफर के लिए दो टोल तथा मालपुरा से जयपुर के बीच नब्बे किमी सफर करने वाले को दो टोल चुकाने पडते है जो अव्यवहारिक प्रतीत होता है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पूर्ववर्ती शासन काल में प्रदेश में पहला प्रयोग करते हुए पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप अर्थात पीपीपी मॉडल की पहली सडक का निर्माण करवाया गया जिसे अधिक टोल वसूली व गलत टोल नाके लगाने के खिलाफ आन्दोलन करने वाले आन्दोलनकारियों द्वारा घोटालों की सडक करार दिया गया था। इस सडक मार्ग पर प्रस्तावित कई बॉयपास निर्माण, आबादी क्षेत्रों में नाला निर्माण, फैरो कवर, सडक मार्ग के दोनों ओर हरियाली से आच्छादित करने के लिए पौधे लगाए जाने, फुटपाथ निर्माण, आमजन के उपयोग के लिए सुविधाओं के निर्माण करवाए जाने के प्रस्ताव शामिल थे जिनका जी शैडयूल तक में उल्लेख था आज तक पूरा नहीं करवाए गए है जिससे आमजन द्वारा भी इसे घोटालों की सडक कहे जाने पर कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। सडक निर्माता कम्पनी ने अपने राजनैतिक आकाओं का आशीर्वाद प्राप्त कर इसके निर्माण में किसी भी खामी को दुरूस्त करना तक मुनासिब नहीं समझा यहां तक कि गंभीर हादसों की संभावना वाले 90 से अधिक मोड तक सीधे नहीं करवाए गए जिससे शायद ही ऐसा कोई दिन होता होगा जब कोई वाहनचालक अथवा राहगीर दुर्घटनाग्रस्त अथवा अकाल मौत का शिकार ना बनता हो। ऐसे में बिना सुविधाओं वाले इस सडक मार्ग से गुजरने वाले वाहन चालक किस आधार पर इतनी महंगी यात्रा करे। पिछले दिनों न्यायालय के प्रकरण के चलते जयपुर-भीलवाडा टोल रोड प्राईवेट लिमिटेड से हटाकर आरएसआरडीसी के अधीन आने के बाद टोलकर्मियों द्वारा फर्जी पर्चियों द्वारा टोलवसूली के मामले ने भी काफी सुर्खियां बटोरी थी। अब एक बार फिर से यह टोल का मामला कांगे्रस व भाजपा के निशाने पर आ गया है जिसमें आन्दोलन की चेतावनी दी गई है तथा जनता भी रोज-रोज शांतिपूर्वक ढंग से कट रही जेब के मामले में समाधान के लिए इसको समर्थन देने के मूड में नजर आ रही है जिससे किसी बडे आन्दोलन की सगुबुगाहट तेज हो गई है।

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