राहु की दशा-ऒर द्वादश भावो का फल आचार्य प.राजेश शास्त्री

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राहु एक छाया ग्रह है,इसकी परिमाप नही है

आसमान की ऊंचाइयां है,केवल नीले रंग में आभासित होता है लेकिन इसका कोई ठिकाना नही है कि यह है कहां तक है शाम और सुबह का इसका समय है,शाम को इसका समय नकारात्मक होता है और सुबह का समय इसका सकरात्मक होता है। ब्रह्म में इसे विराट रूप मिला है,महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने विराट रूप को प्रदर्शित किया था। वैसे राहु के बारे में बहुत सी मिथिहासिक कहानिया मिलती है,एक कहानी समुद्र मंथन के समय की मिलती है कि देवताओं और दैत्यों ने अमृत प्राप्त करने के लिये समुद्र मंथन किया था,देवताओं के बीच में बैठ कर राहु ने चालाकी से अमृत का पान कर लिया कर लिया था लेकिन सूर्य और चन्द्र ने उसकी चालाकी को देखकर भगवान विष्णु से शिकायत कर दी थी,उन्होने अपने सुदर्शन चक्र से इसके सिर को धड से अलग कर दिया था,लेकिन अमृत गले से नीचे उतरने के कारण धड और सिर अमर हो गये थे,धड को केतु और सिर को राहु नाम से जाना जाता है,तब से सूर्य और चन्द्र के साथ राहु केतु की दुश्मनी मानी जाती है,और समय समय पर यह दोनो सूर्य और चन्द्र को ग्रहण दिया करते है। इसके साथ ही राहु का प्रभाव माता पिता और बच्चे पर अधिक पडता है। राहु के लिये कहा जाता है कि वह आकाशीय पिंड नही है,केवल चन्द्रमा का उत्तरी कटाव बिन्दु है,जिसे पश्चिमी लोग North Node के नाम से जानते है। भारतीय ज्योतिष में राहु और केतु को अन्य ग्रहों के समान महत्व दिया है,पाराशर ने राहो तमो अर्थात अंधकार युक्त ग्रह की परिभाषा दी है,उनके अनुसार धूम्रवर्णी जैसा नीलवर्णी राहु वनचर भयंकर वात प्रकृति प्रधान तथा बुद्धिमान होता है,नीलकंठ ने राहु का स्वरूप शनि जैसा बताया है। शनि जडता देता है,राहु नशा देता है,और केतु नकारात्मक प्रभाव देता है,बिना राहु के केतु पूर्ण नही है और बिना केतु के राहु भी पूर्ण नही है। राहु केतु के लिये कोई राशि नही बताई गयी है केवल नक्षत्रों का आधिपत्य दिया गया है। नारायण भट्ट ने कन्या राशि को राहु के लिये बताया है,उनके अनुसार राहु मिथुन राशि में उच्च का और धनु राशि में नीच का होता है। राहु के नक्षत्रों में आर्द्रा स्वाति और शतभिषा हैं। राहु का वर्ण नीलमेघ के समान है,यह सूर्य से १९००० योजन नीचे है,तथा सूर्य के चारों ओर नक्षत्र की भांति घूमता रहता है,शरीर में इसे पेट और पिंडलियों में इसे स्थान मिला है,जब जातक विपरीत कर्म करने लगता है,जो राहु उसे सुधारने के लिये अनिद्रा पेट के रोग दिमागी रोग पागलपन आदि भयंकर रोग देता है,जिस प्रकार से अपने निदनीय कर्मों से दूसरे को पीडा जातक पहुचाता है,उसी प्रकार से राहु जातक को दुख देने के लिये अपने रोग प्रदान करता है। अगर जातक के कर्म शुभ होते है तो यह पलक झपकते ही ऊचाइयों तक पहुंचा देता है,अतुलित धन सम्पत्ति और राजकाज देने में इसे देर नही लगती है,इसलिये अगर जीवन के अन्दर कोई गलत काम हो गये हों तो राहु की दशा शुरु होने से पहले ही राहु की शरण में चले जाना चाहिये। राहु की पूजा पाठ जप दान आदि द्वारा यह प्रसन्न होता है,गोमेद इसकी इसकी मणि है,तथा पूर्णिमा इसका दिन है,अभ्रक इसकी धातु है

 

कुंडली के बारह भावों में राहु का स्थान-

पहले भाव मे राहु शत्रुनाशक होता है लेकिन जातक को अकेला बैठा रहने और काम के अन्दर मन नही लगने की बात भी देता है,सिर के अन्दर अनगिनत विचार आते और जाते रहते है,जब भी जातक को कोई कष्ट या चिन्ता होती है तो वह फ़ौरन घबडा जाता है,राहु के सिर पर होने के कारण उसे घर के अन्दर अपने जीवन साथी के द्वारा किये गये कृत्य समझ में नही आते है,वह दिमागी हलचल के बीच घर की स्थिति को समझ नही पाता है और अपने अनुसार कार्य करने के उपरान्त उसके जीवन साथी के द्वारा पिता और माता का अपमान किया जाता है जातक का पूजा पाठ में मन नही लगता है और किसी न किसी प्रकार के नशे का वह आदी हो जाता है। अक्सर वह सिर दर्द का मरीज होता है और आंखों की रोशनी भी उसकी समय से पहले ही कम हो जाती है,उसे प्रेम प्यार के मामले में एक प्रकार का नशा चढता है,वह जल्दी से धन कमाने वाले मामलों में अपने को जब भी ले जाता है तो उसके शरीर में एक विचित्र सी हलचल हुआ करती है। अक्सर उसकी संतान कम ही होती है और अगर अधिक होती है तो कम से कम एक संतान उसकी अवैद्य जरूर होती है चाहे वह किसी प्रकार से किसी की संतान को पालने के रूप में हो या सहायता करने के रूप में हो। जातक दिमाग का रोगी अवश्य होता है कब क्या करेगा किसी को पता नही होता है घर में या बाहर जब भी उसे कोई क्लेश होता है तो सिर को पटकने की आदत बन जाती है,उसका जीवन साथी उसकी इस प्रकार की दशा से लाभ उठाता है और अपनी चालाकी से जातक को अपने कामो से अन्धेरे में रखता है। लगन का राहु व्यक्ति को स्वार्थी बना देता है और अपना काम बनता भाड में जाये जनता के जैसी आदत का बन जाता है जब तक खुद का स्वार्थ पूरा नही होता है तब तक को पैरो में पडे रहने की आदत होती है लेकिन जैसे ही अपना काम पूरा हुआ लगन के राहु वाले का पता नही चलता है कि वह कहां गया। अक्सर इस प्रकार के राहु वाले की सिफ़्त नौकर की होती है वह या तो नौकर बन कर रहता है या नौकरी वाले काम करने के बाद अपने जीवन को पालने के काम करता है लगन का राहु वाला व्यक्ति झूठ बोलने वाला भी होता है और कपट आदि उसके अन्दर भरे होते है किसी भी काम को निकालने के लिये वह अपने को किसी भी रूप में सामने कर सकता है और भेद लेने के बाद खुद तो बाहर हो जाता है और दूसरे को फ़ंसाकर चला जाता है।दूसरे भाव में विराजमान राहु अपने ही कुटुम्ब का नाशक होता है धन के मामले में जातक को दिखाई तो बहुत देता है लेकिन सामने कुछ नही होता है उसके अन्दर शराब आदि नशे करने की आदत होती है और अपने को बहुत ही बलवान समझने के कारण अक्सर भले स्थानों में उसकी बे इज्जती होती है। धन भाव में होने के कारण पिता के परिवार को जल्द से जल्द समाप्त करने वाला होता है,और माता के लिये अक्सर जान का दुश्मन ही बना रहता है,घर के पानी वाले साधनों में भी राहु अपना असर देता है और किसी प्रकार के कैमिकल इफ़ेक्ट से घर के पानी को दूषित करता है,वाहन के लिये भी यह राहु खतरनाक ही होता है,अक्सर इस भाव का जातक नशे में गाडी चलाने का आदी होता है,और नशे में गाडी चलाने के कारण या तो अपने शरीर को तोडता है अथवा किसी अन्य को अपने नशे की आदतों के कारण जान से हाथ तक धोना पडता है,इस स्थान के राहु वाले से अपने स्वसुर से कभी नही बनती है,और बनती भी है तो केवल स्वार्थ की पूर्ति के लिये ही बनती है,जीवन साथी का कोई ठिकाना नही होता है कब दुनियां से कूच कर जाये या अपने मायके जाकर बैठ जाये,इसके अलावा अगर वह पुरुष जातक है तो उसका भी ठिकाना नही होता है कि कब और कहां वह अपने शरीर को नष्ट कर लेगा या किसी अन्य बेकार की स्त्री के साथ अपना सम्बन्ध बनाकर बैठ जायेगा।

दूसरे भाव के जातक झूठ बोलने में बहुत ही माहिर होते है उनकी बातों में लगभग झूठ ही मिलती है,वे अपने अपमान जानजोखिम के कामो को और खोजबीन करने वाले कामों कभी भी किसी प्रकार की भी झूठ बोल सकते है,अधिक चालाकी और ठगी करने की आदत होती है,तथा अगर वह मोबाइल आदि अधिक प्रयोग करता है तो उसके मोबाइल अधिकतर खोते ही रहते है,वह किसी भी कमन्यूकेशन के काम को पलक झपकते ही बरबाद कर सकता है,अथवा वह अपने साले भान्जे या मामा के घर के लिये आफ़त भी बन सकता है,जो भी इस प्रकार के जातक से चलकर दुश्मनी लेता है इस भाव के राहु वाला जातक उसे किसी न किसी बहाने ठिकाने लगा ही देता है।

तीसरे भाव के राहु वाला जातक विवेक से काम लेने वाला होता है किसी भी कार्य को वह अपने हठ से पूरा करने की क्षमता रखता है उसे गाने बजाने और संगीत के साधन रखने का बडा शौक होता है अक्सर उसे टीवी या फ़िल्म देखने का बडा शौक होता है उसे परफ़्यूम लगाने का और घर के अन्दर खुशबू रखने का भी शौक होता है,जहरीली दवाइयों को हजम करने की भी आदत होती है,अधिक मिर्च मसाले खाना नानवेज की तरफ़ मन का जाना आदि मिलता है,अक्सर उससे मिलने वाले लोग कम्पयूटर या इसी प्रकार की शिक्षा वाले लोग होते है जो लोग फ़िल्म लाइन में अपना कैरियर संगीन सीन के अन्दर बनाते है वे राहु के तीसरे भाव के कारण ही ऐसा कर पाते है,उनके अन्दर जोखिम लेने की बडी आदत होती है,और उनका मिलान भी इसी प्रकार के लोगों से होता है घर की या बाहर की एन्टिक चीजें बेचने और उन्हे कलेक्ट करने की भी आदत होती है,जब भी कोई चान्स मिलता है तो दोस्ती के अन्दर वे अपने को प्रभावित करने मे नही चूकते हैं। उनका काम दवाइयो का या नशे वाले प्रोडक्ट का अथवा मल्टी मार्केटिंग का होता है,अक्सर इस भाव के राहु का प्रभाव शिक्षात्मक रूप में अधिक होता है,जातक लोगों को सिखाने का काम आसानी से कर सकता है।

राहु को विराट रूप मे जाना जाता है और जितने भी ग्रह है सबकी शक्ति को अपने अन्दर सोख लेने की ताकत केवल राहु में है.राहु को समझना भी भारी हैराहु अपनी चलाने के चक्कर में ग्रह और भावों को गलत बताकर भय देने के बाद पूंछने वाले से धन या औकात को छीनने का कार्य करता है.

वैसे राहु की देवी सरस्वती है और अपने समय पर व्यक्ति को सत्यता भी देती है लेकिन सरस्वती और लक्ष्मी में बैर है,जहां सरस्वती होती है वहां लक्ष्मी नही और जहां लक्ष्मी होती है वहां सरस्वती नही.जो लोग दोनो को इकट्ठा करने के चक्कर में होते है वे या तो कुछ समय तक अपने झूठ को चलाकर चुप हो जाते है या फ़िर सरस्वती खुद उन्हे शरीर धन और समाज से दूर कर देती है,अथवा किसी लक्ष्मी के कारण से उन्हे खुद राहु के साये में जैसे जेल या बन्दी गृह में अपना जीवन निकालना पडता है.राहु अलग अलग भावों में अपनी अलग अलग शक्ति देता है,अलग अलग राशि से अपना अलग अलग प्रभाव देता है,तुला राशि के दूसरे भाव में अगर राहु विद्यमान है तो इस राशि वाला जातक विष जैसी वस्तुओं को आराम से सेवन कर सकता है,और मृत्यु भी इसी प्रकार के कारकों से होती है,उसके बोलने पर गालियों का समिश्रण होता है,मतलब जो भी बात करता है वह बिच्छू के जहर जैसी लगती है,अगर गुरु या कोई सौम्य ग्रह सहायता में नही है तो अक्सर इस प्रकार के लोग शमशान के कारकों के लिये मशहूर हो जाते है, राहु चौथे भाव में स्वभाव से क्रूर कम बोलने वाला असंतोषी और माता को कष्ट देने वाला होता है। शक की बीमारी को देता है रहने वाले स्थान को सुनसान रखने के लिये माना जाता है,मन के अन्दर आशंकाये हमेशा अपने प्रभाव को बनाये रखती है,यहां तक कि रोजाना के किये जाने वाले कामों के अन्दर भी शंका होती है,जो भी काम किया जाता है उसके अन्दर अपमान मृत्यु और जान जोखिम का असर रहता है,बडे भाई और मित्र के साथ कब अपघात कर दे कोई पता नही होता है,जो भी लाभ के साधन होते है उनके लिये हमेशा शंका वाली बातें ही होती है,माता के लिये अपमान और जोखिम देने वाला घर में रहते हुये अपने प्रयासों से कोई न कोई आशंका को देते रहना उसका काम हो जाता है,लेकिन बाहर रहकर अपने को अपने अनुसार किये जाने वाले कामों में वह सुरक्षित रखता है पिता के लिये कलंक देने वाला होता है.

पंचम भाव का राहु मित्रों राहु का सम्बन्ध दूसरे और पांचवें स्थान पर होने पर जातक को सट्टा लाटरी और शेयर बाजार से धन कमाने का बहुत शौक होता है,राहु के साथ बुध हो तो वह सट्टा लाटरी कमेटी जुआ शेयर आदि की तरफ़ बहुत ही लगाव रखता है,अधिकतर मामलों में देखा गया है कि इस प्रकार का जातक निफ़्टी और आई.टी. वाले शेयर की तरफ़ अपना झुकाव रखता है। अगर इसी बीच में जातक का गोचर से बुध अस्त हो जाये तो वह उपरोक्त कारणों से लुट कर सडक पर आजाता है,और इसी कारण से जातक को दरिद्रता का जीवन जीना पडता है,उसके जितने भी सम्बन्धी होते है,वे भी उससे परेशान हो जाते है,और वह अगर किसी प्रकार से घर में प्रवेश करने की कोशिश करता है,तो वे आशंकाओं से घिर जाते है.कुन्डली में राहु का चन्द्र शुक्र का योग अगर चौथे भाव में होता है तो जातक की माता को भी पता नही होता है कि वह औलाद किसकी है,पूरा जीवन माता को चैन नही होता है,और अपने तीखे स्वभाव के कारण वह अपनी पुत्र वधू और दामाद को कष्ट देने में ही अपना सब कुछ समझती है। पंचम भाव में राहु संतान और बुद्धि को बरबार रखता है,जल्दी से जल्दी हर काम को करने के चक्कर में वह अपनी विद्या को बीच में तोड लेता है,नकल करने की आदत या चोरी से विद्या वाली बातों को प्रयोग करने के कारण वह बुद्धि का विकास नही कर पाता है,जब भी कभी विद्या वाली बात को प्रकट करने का अवसर आता है कोई न कोई बहाना बनाकर अपने को बचाने का प्रयास करता है पत्नी या जीवन साथी के प्रति वह प्रेम प्रदर्शित नही कर पाता है और आत्मीय भाव नही होने से संतान के उत्पन्न होने में बाधा होती है.

छठा राहु बुद्धि के अन्दर भ्रम देता है,लेकिन उसके मित्रों या बडे भाई बहिनो के प्रयास से उसे मुशीबतों से बचा लिया जाता है,अपमान लेने में उसे कोई परहेज नही होता है,कोई भी रिस्क को ले सकता है,किसी भी कुये खाई पहाड से कूदने में उसे कोई डर नही लगता है,वह किसी भी कार्य को करने के लिये भूत की तरह से काम कर सकता है और किसी भी धन को बडे आराम से अपने कब्जे में कर सकता है,गूढ ज्ञान के लिये वह अपने को आगे रखता है,बाहरी लोगों से और पराशक्तियों के प्रति उसे विश्वास होता है,अपने खुद के परिवार के लिये आफ़तें और शंकाये पैदा करता रहता है.राहु को दवाइयों के रूप में भी माना जाता है,जो दवाइयां शरीर में एल्कोहल की मात्रा को बनाती है और जो दवाइयां दर्द आदि से छुटकारा देती है वे राहु की श्रेणी में आती है.

राहु की आशंका कभी कभी बहुत बडा कार्य कर जाती है जैसे कि अपना प्रभाव फ़ैलाने के लिये कोई झूठी अफ़वाह फ़ैला कर अपना काम बना ले जाना.धर्म स्थान पर राहु का रूप साफ़ सफ़ाई करने वाले व्यक्ति के रूप में होता है,धन के स्थान में राहु का रूप आई टी फ़ील्ड की सेवाओं के रूप में माना जाता है,जहां असीमित मात्रा की गणना होती है वहां राहु का निवास होता है. अब आगे सातवें भाव की वात करते हैं। सातवाँ भाव गृहस्थी का कारक है। वैवाहिक और दाम्पत्य सम्बन्ध इसमें समाहित होते है।

जातक जीविका उपार्जन करने के लिए किस प्रकार के धंधे करेगा? उसे कितनी आय की प्राप्ति होगी? जीवन निर्वाह आसान होगा या कठिन? गृहस्थ जीवन सुखमय होगा या दुःख भरा? पति पत्नी, जातक के माता पिता, भाई बहन, बाल बच्चे की क्या स्थति होगी? इन बातों का विचार सातवें भाव से किया जाता है। लाल किताब में सातवें भाव को ‘गृहस्थी की चक्की ‘ कहा है – आकाश जमीन दो पत्थर सातवें रिज्क अकल की चक्की हो”भाव सात अगर देखें काल पुरुष की कुंडली में शुक्र की तुला राशि है इस राशि का महत्व जीवन साथी साझेदार जीवन मे लडी जाने वाली जंग तथा सेवा आदि से प्राप्त आय सेवा के प्रति समाप्त करने वाले कारण सन्तान की हिम्मत और सन्तान कैसी है किस प्रकार के आचार विचार उसके अन्दर है वह अपने को समाज मे किस प्रकार के क्षेत्र से जुडकर अपने को संसार मे दिखायेगी माता के घर और माता की मानसिक स्थिति को पिता के कार्य को और कार्यों से जुडे धन आदि की समीक्षा करने के लिये अपनी क्रिया को करेगी. राहु को वैसे छाया ग्रह कहा जाता है,इसके साथ ही राहु के बारे मे कहा जाता है कि ऐसा कोई भी कारक नही है जो आसमान से नही जुडा है चाहे वह अच्छा हो या बुरा सभी की शक्ति को समेटने के लिये राहु का प्रभाव बहुत ही बडे रूप मे या आंशिक रूप से समझना जानना जरूरी है। तुला राशि का राहु मानसिक रूप से अपने को हमेशा उपरोक्त कारणो से जोड कर रखता है और इस राहु का प्रभाव घर के सदस्यों में अच्छे और बुरे रूप से भी देखा जाता है। जिस दिन इस राहु के साथ जन्म होता है उसके अठारह महिने पहले से ही घर के बुजुर्ग सदस्यों पर असर को देखा जाने लगता है। राहु का प्रभाव पिता के बडे भाई पर पहले पडता है इसके बाद यह प्रभाव बडे भाई या बहिन पर पडता है फ़िर इसका प्रभाव छोटे भाई बहिन पर भी पडता है । इसके साथ ही जातक की आमदनी के क्षेत्र पर जातक एके भेषभूषा पर भी पर इसका असर पडता है इस राहु के कारण पैदा होने वाले जातक अक्सर सबसे पहले बायें हाथ से लिखने पढने वाले या इस हाथ से काम करने के लिये पहले ही अपने को उद्धत करते है अक्सर यह भी देखा जाता है कि इस राशि मे राहु वाले व्यक्ति अपने को जीवन साथी के भरोसे ही रखते है उनके लिये कोई भी काम करना मुश्किल होता है जबतक कि वे अपनी भावना को आशंका को अपने जीवन साथी से न बता दें,यह भी देखा गया है कि इस राशि का राहु पति पत्नी के बीच मे एक प्रकार का आशंकाओं का जाल भी बुन देता है और दोनो के बीच मे वाकयुद्ध कारण अक्सर घर का माहौल तनाव वाला बन जाता है और कुछ समय के लिये ऐसा लगता है कि पति पत्नी मे एक ही रहेगा। इस भाव के राहु वाला व्यक्ति पैदा होने के बाद एक प्रकार से आवारगी का जीवन बिताने के लिये भी माना जाता है वह कहां जा रहा है किसके लिये जा रहा है,उसे खुद पता नही होता है। इसके अलावा भी कई शास्त्रो ने अपने अपने अनुसार कथन किये है जो आज के युग मे कम ही फ़लीभूत होते देखे गये है।कहा जाता है कि सप्तम का राहु व्यक्ति के अन्दर अधिक कामुकता को देता है और कामुकता के कारण व्यक्ति का सम्बन्ध कई व्यक्तियों से होता है। यह बात मेरे अनुसार तभी मानी जाती है जब राहु शुक्र या गुरु पर अपना असर दे रहा हो तो शुक्र पर असर होने के कारण पति के प्रति कई स्त्रियों से सम्बन्ध बनाने के लिये और पत्नी पर अपने को सजाने संवारने के प्रति अधिक देखा जाता है जब यह जीवन की जद्दोजहद मे आजाता है तो व्यक्ति एक से अधिक कार्य करने साझेदारी और इसी प्रकार के कामो से अपने को आगे बढाने के लिये भी देखा जाता है। राहु शुक्र के घर मे होने से और व्यवसाय के प्रति अपनी सोच रखने के कारण व्यक्ति को हर मामले मे बडी सोच देकर व्यवसाय के लिये अपनी समझ को देता है। अक्सर इस असर के कारण ही कई लोग तो आसमान की ऊंचाइयों मे चले जाते है और कई लोग अपने पूर्वजो के धन को भी अपनी समझ से बरबाद करने के बाद शराब आदि के आदी होकर अपने जीवन को तबाह कर लेते है। जिन लोगो ने विक्रम बेताल की कथा को पढा होगा उन्हे इस राहु का पूरा असर समझ मे आ गया होगा,यह राहु एक भूत की तरह से व्यक्ति के ऊपर सवार होता है और अपनी क्रिया से जीवन की वह बाते सामने ला देता है जिन्हे हर कोई अपनी बुद्धि से सामने नही ला सकता है जैसे ही व्यक्ति अपनी बुद्धि का प्रयोग करता है यह राहु का नशा अपने आप ही पता नही कहां चला जाता है। इस राहु का नशा एक प्रकार से या तो बहुत ही भयंकर हो जाता है और उतारने के लिये व्यक्ति पुलिस स्टेशन लाया जाता है,या इस राहु के नशे को उतारने के लिये अस्पताल काम मे आते है या इस राहु का नशा उतारने के लिये धर्म स्थान अपना काम करते है इसके अलावा इसका नशा तब और भी खतरनाक उतरता है जब व्यक्ति अपनी धुन मे चलने के कारण सडक या किसी अन्य प्रकार के कारण से दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है।

काल पुरुष की कुंडली में आठवें भाव में वृश्चिक राशि मंगल की सकारात्मक राशि है। भावनात्मक राशि के लिये मेष को जाना जाता है। राहु को ग्रहों में छाया ग्रह के रूप मे जाना जाता है,लेकिन विस्तार की नजर से इस छाया ग्रह का वही प्रभाव वही सामने आता है जैसे कडक धूप के अन्दर छाया का आनन्द आता है,या सादा से दिखने वाले तार में बिजली का करण्ट झटका मारता है या एक बुद्धू से दिखाई देने वाले व्यक्ति के अन्दर से असीम ज्ञान का भण्डार उमड पडता है। इस राहु के बारे में कहा जाता है कि बारह साल में रुडी के दिन भी घूम जाते है,या बेकार से लोग राख से साख पैदा कर देते है अथवा बडी बडी दवाइयों के फ़ेल होने के बाद भी सादा सी भभूत काम कर जाती है। वैसे सादा व्यक्ति के लिये इस राशि का राहु बहुत ही खतरनाक माना जाता है,इस राहु के जन्म समय मे वृश्चिक राशि में होने के समय मे राहु की दशा या राहु के गोचर के समय जिस जिस भाव में जिस जिस ग्रह पर अपना प्रभाव डालता है वह भाव ग्रह अपने अपने अनुसार समाप्त होता जाता है।आठवें घर का संबध शनि और मंगल ग्रह से होता है। इसलिए इस भाव का राहू अशुभ फल देता है। जातक अदालती मामलों में बेकार में पैसे खर्च करता है।परिवारिक जीवन भी प्रतिकूलता से प्रभावित होता है। यदि मंगल ग्रह शुभ हो तो जातक को घनी भी वनाता हैं अष्टम भाव काअशुभ राहु का धोखा अक्सर किये जाने वाले कामो से देखने को मिलते है,पहले आशा लगी रहती बस है कि इस काम को करने के बाद बहुत लाभ होगा और एक समय ऐसा आता है कि पूरी मेहनत भी लग चुकी होती है पास का धन भी चला गया होता है पता चलता है कि काम का मूल्य ही समाप्त हो चुका है,इसी प्रकार का धोखा अधिकतर मंत्र तंत्र और यंत्र बनाने वाले अद्भुत चीजो का व्यापार करने वाले शमशान सिद्धि का प्रयोग करने वाले भी करते है जब राहु का स्थान किसी के अष्टम मे होता है या अष्टम का स्वामी किसी प्रकार से राहु केतु शनि के घेरे मे होता है तो वह इन्ही लोगो के द्वारा धोखा खाने वाला माना जाता है यह कारण दशा के अन्दर भी देखा जाता है जैसे धनेश और राहु की दशा मे या अष्टमेश और राहु की दशा मे इसी प्रकार की धोखे वाली बात होती देखी जाती है.अक्सर इसी प्रकार के धोखे शीलहरण के लिये स्त्रियों मे भी देखे जाते है जब भी कोई अपनी रसभरी बातो को कहता है या अपने प्रेम जाल मे ले जाने के लिये चौथे भाव या बारहवे भाव की बातो को प्रदर्शित करता है तो उन्हे समझ लेना चाहिये कि उनके लिये कोई बडा धोखा केवल उनके शील को हरने के लिये किया जा रहा है,इस धोखे के बाद उनका मन मस्तिष्क और ईश्वरीय शक्तिओं से भरोसा उठना भी माना जा सकता है,इस भाव का धोखा उन लोगो के लिये भी दिक्कत देने वाला होता है जो डाक्टरी काम करते है वह अपने धोखे के अन्दर आकर किसी बीमारी को समझ कर कोई दवाई दे देते है और उस दवाई को देने के बाद मरीज बजाय बीमारी से ठीक होने के ऊपर का रास्ता पकड लेता है। यही बात इन्जीनियर का काम करने वाले लोगो के साथ भी होता है वह धोखे मे आकर अपनी रिपेयर करने वाली चीज मे या तो अधिक वोल्टेज की सप्लाई देकर उसे बजाय ठीक करने के फ़ूंक देते है या सोफ़्टवेयर को गलत रूप से डालकर पूरे प्रोग्राम ही समाप्त कर लेते है मित्रों कालपुरुष की कुंडली में वृश्चिक राशि बनती हैइस राशि वाला जातक विष जैसी वस्तुओं को आराम से सेवन कर सकता है,और मृत्यु भी इसी प्रकार के कारकों से होती है,उसके बोलने पर गालियों का समिश्रण होता है,मतलब जो भी बात करता है वह बिच्छू के जहर जैसी लगती है,अगर गुरु या कोई सौम्य ग्रह सहायता में नही है तो अक्सर इस प्रकार के लोग शमशान के कारकों के लिये मशहूर हो जाते है,राहु खून की बीमारियां और इन्फ़ेक्सन भी देता है,जैसे मंगल नीच के साथ अगर राहु अष्टम है तो जातक को लो ब्लड प्रेसर की बीमारी होगी,वही बात अगर उच्च के मंगल के साथ युति है तो हाई ब्लड प्रेसर की बीमारी होगी,और मंगल राहु के साथ गुरु भी कन्या राशि के साथ या छठे भाव के मालिक के साथ मिल गया है तो शुगर की बीमारी भी साथ में होगी.

अष्टम भाव में राहु गुप्त विद्या गूढ ज्ञान के लिये वह अपने को आगे रखता है,बाहरी लोगों से और पराशक्तियों के प्रति उसे विश्वास होता है,अपने खुद के परिवार के लिये आफ़तें और शंकाये पैदा करता रहता है.राहु को दवाइयों के रूप में भी माना जाता है,जो दवाइयां शरीर में एल्कोहल की मात्रा को बनाती है और जो दवाइयां दर्द आदि से छुटकारा देती है वे राहु की श्रेणी में आती है.

राहु की आशंका कभी कभी बहुत बडा कार्य कर जाती है जैसे कि अपना प्रभाव फ़ैलाने के लिये कोई झूठी अफ़वाह फ़ैला कर अपना काम बना ले जाना राहु को कचडा अगर माना जाये तो यह राहु कबाडी का काम करने वाले लोगों को और मौत को पेशा के रूप में अपनाने वाले लोगों के लिये भी माना जाना जाता है। इस राहु का कारण अगर व्यक्ति स्थान या नाम के लिये लिया जाता है तो आम आदमी के अन्दर भय का वातावरण पैदा करने के लिये और डरने के लिये भी माना जाता है। जाति से इस राहु का प्रभाव मुस्लिम जाति के लिये भी माना जाता है जो लोग खतरनाक स्थानों में निवास करते है,समुदाय बनाकर हत्या और डराकर राज करने वाले लोगों के लिये भी यह राहु अपने अनुसार कार्य करने वाला माना जाता है। जो लोग दक्षिण पश्चिम दिशा में घर के संडास को बना लेते है उनकी कुंडली में राहु इस राशि में किसी न किसी प्रकार से आकस्मिक हादसे देने का कारक बन जाता है। इस राशि में राहु के होने से केतु का स्थान धन की राशि में होना वास्तविक है,केतु का स्थान धन की राशि में होने से नकारात्मक प्रभाव भी माना जाता है,साथ ही इस राशि में राहु के होने से भोजन आदि के लिये भी सहायक साधनों का इन्तजाम करना पडता है। या तो भोजन को किसी अन्य व्यक्ति की सहायता से खाना पडता है या भोजन के लिये अलग से चम्मच या इसी प्रकार के औजारों से भोजन करना पडता है,दाहिने अंग में लकवा जैसी बीमारी को पैदा करने के लिये इसी राहु का असर माना जाता है। जननांगो में इन्फ़ेक्सन जैसी बीमारियों के लिये भी इसी राहु को दोषी ठहराया जाता है। बायो गैस प्लांट भी इसी स्थान की उत्पत्ति मानी गयी है,साथ ही शमशानी कार्य करना और शमशान आदि की देखभाल करना नगर पालिका जैसे कार्य करना आदि भी इसी राशि के राहु की देन मानी जाती है।
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