बच्चों को सीखने के लिये सकारात्मक वातावरण दें : प्रियंका जोधावत

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कोरोना महामारी के कारण स्कूल पिछले लंबे समय से बंद हैं और इसकी वजह से बच्चों की मानसिकता पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। इस नकारात्मक समय में यह ज़रूरी है कि हमें बच्चों को हर हाल में सकारात्मक वातावरण देना चाहिए। सेव द चिल्ड्रन और राज्य शैक्षणिक अनुसंधान व प्रशिक्षण संस्थान (SCERT) उदयपुर राजस्थान द्वारा कीपिंग लर्निंग अलाइव अभियान के शुभारंभ पर आयोजित वेबिनार में राजस्थान, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के संभागियों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि एस सी ई आर टी की निदेशक सुश्री प्रियंका जोधावत ने आगे कहा कि लोकडाउन के दौरान हमने बच्चों के लिए ऑनलाईन शिक्षण सामग्री तैयार की। वर्कबुक्स और वर्कशीट्स बच्चों तक पहुंचाई गई। इस प्रयास की भारत सरकार ने भी सराहना की है। सेव द चिल्ड्रन द्वारा बच्चों को कहानी विधा का प्रयोग कर सीखने की प्रक्रिया को जारी रखे जाने के 100 दिन की कार्य योजना को एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए उन्होंने विभाग के अधिकारियों को इस मुहिम को हर संभव सफल बनाने का आव्हान किया। इस मौके पर सुश्री प्रियंका द्वारा ग्राम स्तर पर शुरू की गई कहानी विधा का वीडियो भी लांच किया। उन्होंने वर्तमान स्थित में इन कहानियों को बच्चों में सोचने, समझने व तर्क कौशल विकसित करने का एक महत्वपूर्ण टूल बताया।
सेव द चिल्ड्रन के उप निदेशक श्री संजय शर्मा ने कहा कि कोविड 19 से उपजे हालातों में बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को घर और गाँव स्तर पर गति देने के उद्देश्य से 100 दिनों के लिये कीपिंग लर्निंग अलाइव अभियान की शुरुआत देश भर में की गई है। सेव द चिल्ड्रन शिक्षा उपनिदेशक सुश्री कमल गौर ने बताया कि दुनियां भर के बच्चे कोरोना काल में शिक्षा व्यवस्था से जूझ रहे हैं। कोरोना के पहले चरण में लगा था कि अब स्कूल जल्दी ही खुल जाएंगे पर दूसरे चरण ने हालात और बिगाड़ दिए। 100 से ज्यादा देशों में बच्चों की शिक्षा पर हुए सर्वे से पता चला है कि बच्चों की सीखने की गति प्रभावित हुई है। हमें नए तरीकों से बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था करनी होगी। इसके लिए फन लर्निग किट और कहानी घर जैसे नवाचार किये जा रहे हैं। लसाड़िया जिला राजसमंद की कक्षा 10 की छात्रा गरिमा ने बताया कि कोरोना काल में अपने आस-पास के बच्चों को पढ़ाने कार्य किया है। गरिमा ने लाइब्रेरी की पुस्तकों को भी ढ़ाणियों के बच्चों तक पुस्तकें उपलब्ध करवाने में मदद की है। मध्यप्रदेश की पीपली पँवार ने सेव द चिल्ड्रन द्वारा संचालित लर्निंग रिसोर्स सेंटर पर बच्चों को कहानी, कविता, नाटक व चित्र बनाना सिखाया है।
पुणे महाराष्ट्र के जिला शिक्षण एवम प्रशिक्षण संस्थान की प्रिंसिपल शोभा खंडारे ने अध्यापकों और सामुदायिक कार्यकर्ताओं को बालरक्षक का प्रशिक्षण दे कर महाराष्ट्र के सीमावर्ती जिलों में 7000 बच्चों को पलायन से रोक कर उन्हें शिक्षा से जोड़ा है। उन्होंने बताया कि कोविड के दौरान खुले लर्निग सेंटर्स पर बच्चे जब शुरू में आये तब चिड़चिड़े थे पर खेल कूद के माध्यम से सीखने की गति बढ़ने के साथ उनके व्यवहार में भी परिवर्तन आया।
पुणे की बालरक्षक सुनीता काटम ने बताया कि हम गांव गांव सर्वे करते हैं और श्रम से जुड़े बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिला कर उसकी लगातार मोनिटरिंग भी करतेहैं की बच्चा स्कूल से ड्रॉपआउट तो नही हो रहा है।
मध्यप्रदेश राज्य शिक्षा केन्द्र के उप निदेशक अशोक पारीक ने बताया कि ‘हमने एक पुस्तक दान करें ‘ अभियान चला कर बच्चों के लिए पुस्तकें एकत्रित की। रेडियो का उपयोग व्यापक स्तर पर करके गांव गांव में बच्चों के सीखने का इंतजाम किया। गांव स्तर पर धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर की मदद से बच्चों को पढ़ाई करवाई गई।
 नूर मोहम्मद राजस्थान आर टी ई फोरम प्रतिनिधि ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि इस कोरोना काल में सबसे बड़ी क्षति बच्चों को हुई है। विशेष कर बड़े प्रयासो से बालिकाओं को स्कूल लाया गया था अब खतरा है कि फिर से एक बड़ा गैप नहीं आ जाए। उन्होंने आशंका जताई कि स्कूल क्लोजर होने से बच्चे बाल श्रम की ओर धकेल दिए जाएंगे। बालिकाओं की शिक्षा पूर्ण होने से पहले ही ब्याह दी जाएगी। अतः बाल सुरक्षा की दिशा में भी प्रयास मजबूत करने होंगे। महाराष्ट्र आर टी ई फोरम मधुकर गुम्बले और मध्यप्रदेश के प्रवीण गोखले ने भी हर हाल में बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के प्रयास पर ज़ोर दिया।
सेव द चिल्ड्रन के मेनेजर राम सिंह हापावत (शिक्षा मैनेजर सेव द चिल्ड्रन,वेस्ट हब) द्वारा  सेव द चिल्ड्रन व साथी संस्थाओं द्वारा जमीनी स्तर पर किए गए प्रयासों व चुनौतियों को विस्तृत रूप से साझा किया गया। उन्होने कोरोना अवधि में बच्चों को शैक्षणिक गतिविधियों से जोड़े रखने के लिए किए गए प्रयासों के तहत लर्निंग रिसोर्स सेंटर्स, मोबाइल लाइब्रेरी संचालन, सेफ लर्निंग रिसोर्स सेंटर्स संचालन, पुस्तकालय संचालन, रीडिंग बडीज़, शाला प्रबंधन समिति प्रशिक्षण, होम विजिट्स के माध्यम से ऑन साइट सपोर्ट, डिजिटल कंटेन्ट की पहुँच व उसके निरंतर फॉलोअप आदि गतिविधियों को विस्तार पूर्वक साझा किया गया। उन्होने रेखांकित किया कि इन छोटे-छोटे लेकिन महत्त्वपूर्ण प्रयासों के तहत देश भर के लगभग 314 गांवों में यह कार्य किया गया। उक्त कार्य ग्राम स्तर पर तैयार किए गए वोलीयंटर्स के सहयोग से संपादित किया गया।
श्री ओम आर्य व श्री रघुनन्दन शर्मा ने सभी का आभार व धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
इस वेबिनार में सेव द चिल्ड्रन वेस्ट हब, राज्य शैक्षणिक अनुसंधान व प्रशिक्षण संस्थाएं (राजस्थान’, मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र) तथा तीनों राज्यों के RTE फोरम प्रतिनिधियों के साथ विभिन्न संस्थाओं व शिक्षकों सहित कुल 350 लोगों की भागीदारी रही।

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