बाल विवाह की रोकथाम मे मीडिया की भूमिका पर कार्यशाला

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शिक्षा से वंचित बालिकाओं के बाल विवाह की संभावनाएं स्कूल जाने वाली बालिकाओं की तुलना में बढ़़ जाती है। समाज और प्रशासन को मिलकर बालिकाओं को षिक्षित एवं आर्थिक रूप से सषक्त बनाने के हर संभव प्रयास किए जाने चाहिए। पंचायत राज प्रतिनिधि यह सुनिष्चित करें कि किसी भी गांव में कोई भी बालिका शिक्षा से वंचित न रहे और स्कूल ड्राप आउट बालिकाओं को पुनः स्कूल से जोड़ें। अपनी पंचायत में बालिकाओं के लिए कौशल विकास के अवसर उपलब्ध करवाए। सेव द चिल्ड्रन व शिव शिक्षा समिति रानोली द्वारा टोंक जिले की पीपलू तहसील के 32 गांवों में बाल विवाह की रोकथाम के लिए चलाई जा रही परियाोजना ’शादीः बच्चों का खेल नहीं‘ के तहत आयोजित मिडिया कार्यषाला में मीडियाकर्मियों के साथ चर्चा में उक्त सुझाव सामने आए।
सेव द चिल्ड्रन की जिला अधिकारी जसविंदर कौर ने बताया कि समाज में लिंग भेद की रोकथाम की बहुत आवष्यकता है क्योंकि इसके चलते बालिकाओं के आगे बढ़ने के अवसरों को सीमित कर दिया जाता है और उन्हें अपने सपनों को पूरा करने का मौका नहीं मिल पाता। बाल विवाह होने के पीछे लिगं भेद एक बडा कारण होता है। एनएफएचएस-4 के आंकड़े बताते हैं कि टोंक जिले में 47 प्रतिषत बालिकाओं का विवाह 18 साल से पहले हो जाता है और यह चिंता का विषय है। परियोजना के तहत पीपलू तहसील में लगभग 3100 बालिकाओं को सशक्त बनाने के लिए जीवन कौषल शिक्षा, आर्थिक प्रषिक्षण, यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य शिक्षा दी जा रही है। बालिकाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो रही हैं और सषक्त होकर अपने शिक्षा जारी रखने व बाल विवाह को रोकने मंे सक्षम हो पा रही हैं लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद अभी भी जिले में गुपचुप तौर पर बाल विवाह हो रहे हैं, इन पर कड़ी कार्यवाही करने की आवष्यकता है। टोंक जिले मे बाल विवाह अधिक होने के बावजूद इस जिले को राश्ट्रीय किषोर स्वास्थ्य कार्यक्रम से नही जोडा गया है।
शिव शिक्षा समिति से सीताराम षर्मा ने बताया की बाल विवाह मे कमी आई है एह आकंडे भी बता रहे है साथ ही एक सकारात्मक बदलाव यह भी आया है कि अब बाल विवाह के खिलाफ रिपोर्टिग होने लगी है चाईल्ड लाईन मे, पुलिस के 100 नम्बर पर एवं बाल विवाह कन्ट्रोल रुम पर मामले दर्ज करवाये जा रहे है यह एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है। बडी संख्या मे लडकिया राल माडल के रुप मे सामने आ रही है जो स्वंय का बाल विवाह रुकवाने के साथ अन्य किषोरियों का भी बाल विवाह रुकवा पा रही है।
परियोजना क्षैत्र के गाव सोहेला से प्रियका बैरवा ने मिडिया को अपनी कहानी बताते हुए कहा की परियषेजना से जुडने के बाद स्वंय का एवं अन्य 3 लडकियों का बाल विवाह रुकवाया है जेबाडिया की कोमल गुर्जर ने मिडिया से निवेदन किया की बाल विवाह से जुडी खबरों को अधिक से अधिक प्रकाषित करे ताकी बाल विवाह पर जागरुकता आ सके डारडातुर्की से यषौदा एवं वसुन्दरा ने बताया की बाल विवाह रोकथाम हेतु उनका समूह प्रयास कर रहा है जिसमे गौना रुकवाने एवं पालनहार से जुडाव की बात कही साथ ही पंचायत स्तरीय किषोरी फेडरेषन बना कर समस्या समाधान पर कार्य कर रही है।
मीडियाकर्मियों ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि बाल विवाह वास्तव में एक बड़ी समस्या है और इसके लिए सरकार, मीडिया और समाज को साझंा प्रयास किए जाने की आवष्यकता है। समाज की मानसिकता में बदलाव आने पर ही बाल विवाह की रोकथाम संभव होगी। कार्यषाला में विभिन्न समाचार पत्रों एवं इलैक्ट्रोनिक चैनल के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। शिव शिक्षा रानोली के परियोजना अधिकारी रामस्वरूप गूर्जर ने मीडियाकर्मियों का आभार व्यक्त करते हुए परियोजना क्षेत्र का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया। कार्यषाला मे प्रषिक्षण अधिकारी पूनम जोनवाल एवं अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

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