तीन घण्टे तक नहीं पहुंची एबुलेंस, गंभीर घायल ने अस्पताल में दम तोडा

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मालपुरा-जयपुर सडक मार्ग पर मोपेड व क्रेन के बीच हुई भिडन्त में घायल एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि घायल महिला को हालत चिंताजनक होने पर जयपुर रैफर किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जयपुर स्टेट हाइवे पर मंगलवार की दोपहर को अविकानगर टोल प्लाजा के पास एक मोपेड व क्रेन के बीच आमने सामने की जोरदार भिडंत हो गई। हादसे में मोपेड सवार लक्ष्मण सिंह भाटी व कुसुम भाटी गभीर घायल हो गए। जिन्हें टोल प्लाजा पर मौजूद एबुलेंस की सहायता से तत्काल मालपुरा अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां से दोनो घायलों को चिन्ताजनक हालत में जयपुर रैफर कर दिया। जयपुर रैफर कर देने के बावजूद इन लावारिस घायलों को ना तो अस्पताल प्रशासन ओर ना ही 108 एबुलेंस सेवा प्रदाता कपनी कपनी द्वारा एबुलेंस उपलब्ध करवाई गई। मामले की सूचना मिलते ही समाज सेवी संगठन राम सेवा परिवार के सदस्य अस्पताल पहुंचे तथा स्वयं के खर्चे पर निजी वाहन मंगवाया लेकिन घायलो की संख्या दो होने तथा दोनो की हालत गभीर होने के चलते 108 एबुलेंस के लिए कंट्रोल रूम पर कॉल की गई। लेकिन कंट्रोल रूम के अधिकारियों ने कॉल ट्रांसफर करते हुय समय बिता दिया। अंत मे कॉल को टोंक अधिकारी को ट्रांसफर करने पर उन्होंने भी घायल को जयपुर छोडने से मना कर टोंक छोडने के आदेशों की जानकारी दी। तीन घण्टे तक एबुलेंस की बाहट जोहने व समय लगने के कारण गंभीर रूप से घायल लक्ष्मण सिंह ने मालपुरा अस्पताल में दम तोड दिया जबकि घायल महिला कुसुम सिंह को गंभीर हालत में जयपुर सवाई मानसिंह चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया है। बताया जा रहा है कि मोपेड सवार महिला-पुरूष मालपुरा किसी रिश्तेदार से मिलकर वापस लौट रहे थे। दुर्घटना में जान गंवाने वाले लक्ष्मण सिंह भाटी निवासी सीकर हाल निवासी मोहनपुरा राजपूतान फागी एवं कुसुम सिंह निवासी मोहनुपरा राजपूतान फागी एक प्राईवेट स्कूल संचालक होना सामने आया है। इस पूरे घटनाक्रम में एक बार फिर से मालपुरा अस्पताल शर्मसार है जहां चिकित्सा व्यवस्थाओं को बेहत्तर बनाए जाने के दावे तो किए जाते है लेकिन यह घटना सपूर्ण क्षेत्रवासियों की आंखे खोलने के लिए पर्याप्त है तथा जनता के वोट बटोर शेखियां बघारने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए अत्यन्त शर्म का विषय है।
लक्ष्मण सिंह जी की मौत का जिमेदार कौन हैं …..शायद यदि सही समय पर उन्हें जयपुर इलाज मिल जाता तो बच जाते। लबे समय से मालपुरा में ट्रोमा अस्पताल की मांग उठाई जा रही है लेकिन आज तक सरकारों के कानों पर जूं तक नहीं रैंगी है। जबकि घोटालों से राजस्थान में पहली बार निर्मित पीपीपी मोड के जयपुर-भीलवाडा मार्ग के 240 किमी.के सडक मार्ग में कहीं भी ट्रोमा अस्पताल की सुविधा उपलब्ध नहीं है। यदि मालपुरा में ट्रोमा हॉस्पिटल होता तो वर्ष भर में ऐसे अनेकों मरने वाले लोगों की जान बच जाती।

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