हर डगर, हर गली में गूंज रहे है कल्याण धणी के जयकारे

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जयपुर ताडकेश्वर मंदिर से रवाना हुई लक्खी पदयात्रा जैसे-जैसे आगे बढ रही है पदयात्रा में शामिल पदयात्रियों का उत्साह दोगुना होता दिखाई दे रहा है। पदयात्रा की राह में शारीरिक कष्टों से बेपरवाह पदयात्री एक, दो, तीन, चार, कल्याण धणी की जय जयकार, म्हारों हेलो सुनो जी कल्याण जैसे जयघोषों के साथ निरंतर आगे बढ रहे है। इधर डिग्गी में लक्खी मेले के बेहत्तर इंतजामों के चलते दर्शनार्थियों को आसानी से दर्शन हो पा रहे है। प्रतिदिन नवीन श्रृंगारयुक्त कल्याण धणी की मनमोहक झांकी के दर्शनों की झलक पाकर भक्तगण निहाल हो रहे है। श्रद्धालुओं की आंखो में श्रद्धा के ऐसे भाव होते है कि मानो दर्शनों की इस बेला को वह सदा के लिए अपने ह्रदय पटल पर अंकित कर लेना चाहता हो। कल्याण धणी के दर्शन पाकर भक्त अपने आपको पुण्यवान समझ रहा है। जबकि इन दर्शनों के लिए भले ही उसने कितने ही शारीरिक कष्टों का सामना किया हो, पर दर्शनों के साथ ही परेशानियों व कष्ट मानो समाप्त हो गए है। शायद इसलिए ही भगवान विष्णु की इस आदमकद प्रतिमा को कल्याण धणी के नाम से जाना जाता है। प्रतिमा को अपलक निहारने को जी चाहता है, उसमें ऐसा आकर्षण है जो कह रहा है जो मेरी शरण में आएगा उसका कल्याण निश्चित है। प्रशासन की ओर से मंदिर तक सुगमता पहुंचने के लिए पदयात्रा के मार्ग में सडक के दोनों ओर महिला-पुरूषों की अलग-अलग व्यवस्था की गई है। इधर डिग्गी में प्रशासन एवं पुलिस पूरी तरह हाई अलर्ट पर आ चुका है। पदयात्रियों की सुविधाओं एवं सुरक्षा में किसी भी प्रकार की लापरवाही से निपटने के मुस्तैद दिखाई दे रहा है। नुक्कड चौराहे की ओर आने वाले सभी रास्तो पर बैरिकेटिंग की व्यवस्था कर केवल सरकारी एवं पासधारी वाहनों को ही डिग्गी कस्बे में प्रवेश की अनुमति दी गई है। नुक्कड चौराहे पर पर्याप्त पुलिस व्यवस्था की गई है जो दर्शनार्थियों एवं कनक दण्डवत लगाने वाले भक्तगणों को निरंतर डिग्गी की ओर बढने के लिए प्रेरित कर रहे है। नि:शक्तजन एवं रोगियों के लिए जहां चल रिक्शों की व्यवस्था की गई है वहीं अतिरिक्त रोडवेज बसों की व्यवस्था की गई जो दर्शन कर चुके यात्रियों को अपने गंतव्य की ओर ले जा रही है। धौली दरवाजे के पास बनाए गए कण्ट्रोल रूम में पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारी चौबीसों घण्टे सुरक्षा व्यवस्थाओं के इंतजामों पर नजर रखे हुए है। कण्ट्रोल रूम में ही रिजर्व पुलिस टुकडी तैनात की गई जिससे किसी भी स्थिति में त्वरित व्यवस्थाएं की जा सके। कण्ट्रोल रूम में खोया-पाया सहित दर्शनों के समय, ग्राम पंचायत की ओर से हार्दिक स्वागत के संदेश का लगातार प्रसारण किया जा रहा है तो वहीं चिकित्साधिकारियों द्वारा पैदल चलने, गर्मी, उमस व अन्य रोगों से पीडित दर्शनार्थियों की चिकित्सा की जा रही है। यहां गौताखोरों की भी व्यवस्था की गई है तथा लाइफ बोट, जैकेट सहित अन्य स्थितियों से निपटने के लिए पूरी व्यवस्था की गई है। मेला प्रभारी एसडीएम अजय कुमार आर्य ने बताया कि जयपुर से रवाना हुई पदयात्रा अपने तीसरे पडाव पर पहुंचने के साथ ही डिग्गी में यात्रियों का दबाव बढना शुरू हो गया है जिसके मद्देनजर सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए है। आर्य ने बताया कि मेले के दौरान पदयात्रियों की सुविधा के लिहाज से माकूल व्यवस्थाएं की गई है, मंदिर तक पहुंचने के लिए बैरिकेटिंग, वीआईपी दीर्घा सहित दर्शनों के बाद मंदिर से बाहर जाने के लिए पीछे के रास्ते का प्रयोग करवाया जा रहा है जिससे दर्शन के बाद यात्री आसानी से बाहर निकल सके। आर्य ने बताया कि तहसीलदार औमप्रकाश जैन, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गोवर्धन लाल सुंकरिया, पुलिस उपाधीक्षक जयसिंह नाथावत, डिग्गी थानाधिकारी हीरालाल के नेतृत्व में 24 घण्टे व्यवस्थाएं अनुकूल बनाने में सहयोग प्रदान किया जा रहा है। डिग्गी के बाजार पूरी तरह सज चुके है तथा नुक्कड चौराहे से लेकर मंदिर तक तरह-तरह के सामानों सहित खाद्य पदार्थो की बिक्री आदि की अस्थायी दुकानें लग चुकी है। पदयात्रा के मार्ग में आने वाले गांवो के ग्रामीण एवं डिग्गीवासियों को अब पदयात्रा के अंतिम पडाव डिग्गी पहुंचने का इंतजार है। मेला सहप्रभारी तहसीलदार औमप्रकाश जैन ने बताया कि पदयात्रा के डिग्गी के पास पहुंचने के साथ ही अंतिम दो दिनों में आस-पास के क्षेत्रों से आने वाली यात्राओं में शामिल दर्शनार्थियों को देखते हुए सर्वाधिक भीड जुटने का अनुमान लगाया जा रहा है जिसके लिए पूरी तरह चौकसी सहित अन्य इंतजाम बढा दिया गया है। तालाबों के किनारे बने घाटों पर सुरक्षा चैन लगाई गई तथा जगह-जगह गहरे पानी तक नहीं जाने की चेतावनी से भरे सूचनापट्ट टांगे गए है। अतिरिक्त सफाई कर्मचारियों द्वारा सम्पूर्ण कस्बे में क्रमानुसार सफाई की जा रही है तथा यात्रियों से सफाई व्यवस्था में सहयोग किए जाने का आग्रह किया जा रहा है। एनसीसी कैडेट एवं स्काउट गाइड के स्वयंसेवक भी मंदिर के बाहर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे है।

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